तेरी ज़ुल्फो की सियाही मैं पूरी रात बसर कर जाउजागने का सबब हो तो ये के तेरा दीदार कर पाउआँधियों मैं पत्तो के मानिंद, तेरी गर्म सांसो मैं बिखर जाउगर कहीं मुकाम पाउ तो तेरी ठंडी आहों मैं बस जाउसरक़शी है इश्क़ मैं मेरी इतनी के खुद की हयाती भूल जाउचाहत ये भी है की तेरे गुलाबी होठों पे तिल का नुक़्स बन के रह जाउ
The paradox of insular language
7 months ago